इस्लाम धर्म : हजरत मुहम्मद साहब

'ला-इलाहा इललल्लाह, मुहम्मदुर्रसूलल्लाह'

भावार्थ : अल्लाह सिर्फ एक हैं, उसके सिवाय कोई माबूद नहीं। हजरत मोहम्मद(S.A.W) सच्चे पैगंबर हैं।

अल्लाह के हुक्म से हजरत मुहम्मद (S.A.W ) ने ही इस्लाम धर्म को लोगों तक पहुँचाया है। आप हजरत (S.A.W) इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आप के बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला।>

इस्लाम के आने से पहले अरब में कबिलाई संस्कृति का जाहिलाना दौर था। हर कबीले का अपना अलग धर्म था और उनके देवी-देवता भी अलग ही थे। कोई मूर्ति पूजक था तो कोई आग को पूजता था। यहुदियों और ईसाईयों के भी कबीले थे, लेकिन वे भी मजहब के बिगाड़ का शिकार थे। अल्लाह को छोड़कर लोग व्यक्ति और प्रकृति पूजा में लगे थे।>

इस सबके अलावा भी पूरे अरब में हिंसा का बोलबाला था। औरतें और बच्चे महफूज नहीं थे। लोगों की जान-माल की सुरक्षा की कोई ग्यारंटी नहीं थी। सभी ओर बदइंतजामी थी। इस अंधेरे दौर से दुनिया को बाहर निकालने के लिए अल्लाह ने इस्लाम को लोगों तक पहुँचाने के लिए हजरत मोहम्मद  (S.A.W) को पैगंबर बनाकर दुनिया में भेजा।

जन्म : कुछ विद्वानों के मुताबिक इस्लाम के संस्थापक पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब (S.A.W) का जन्मदिन हिजरी रबीउल अव्वल महीने की 12 तारीख को मनाया जाता है। 571 ईसवी को शहर मक्का में पैगंबर  हजरत मुहम्मद (S.A.W) का जन्म हुआ था। मक्का सऊदी अरब में स्थित है।


आप (S.A.W) के वालिद साहब (पिता) का नाम अब्दुल्ला बिन अब्दुल्ल मुतलिब था और वालिदा (माता) का नाम आमना था। सल्ल. के पिता का इंतकाल उनके जन्म के दो माह बाद ही हो गया था। ऐसे में उनका लालन-पालन उनके चाचा अबू तालिब ने किया। आपके चाचा अबू तालिब ने आपका खयाल उनकी जान से भी ज्यादा रखा।


इबादत और इलहाम : आप (S.A.W) बचपन से ही अल्लाह की इबादत में लगे रहते थे। आपने कई दिनों तक मक्का की एक पहाड़ी 'अबुलुन नूर' पर इबादत की। चालीस वर्ष की अवस्था में आपको अल्लाह की ओर से संदेश (ILM) प्राप्त हुआ।


अल्लाह ने फरमाया, ये सब संसार सूर्य, चाँद, सितारे मैंने पैदा किए हैं। मुझे हमेशा याद करो। मैं केवल एक हूँ। मेरा कोई मानी-सानी नहीं। लोगों को समझाओ। हजरत मोहम्मद (S.A.W) ने ऐसा करने का अल्लाह को वचन दिया, तभी से उन्हें नुबुवत प्राप्त हुई।


कुरआन : हजरत मोहम्मद (S.A.W) पर जो अल्लाह की पवित्र किताब उतारी गई है, वह है- कुरआन। अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश (वही) सुनाया। उस संदेश को ही कुरआन में संग्रहित किया गया हैं। कुरआन को नाजिल हुए लगभग 14 सौ साल हो गए लेकिन इस संदेश में जरा भी रद्दोबदल नहीं है।

सबसे पहले ईमान : नबूवत मिलने के बाद आप (S.A.W) ने लोगों को ईमान की दावत दी। मर्दों में सबसे पहले ईमान लाने वाले सहाबी हजरत अबूबक्र सिद्दीक रजि. रहे। बच्चों में हजरत अली रजि. सबसे पहले ईमान लाए और औरतों में हजरत खदीजा रजि. ईमान लाईं।


वफात : 632 ईस्वीं, 28 सफर हिजरी सन 11 को 63 वर्ष की उम्र में हजरत मुहम्मद (S.A.W) ने मदीना में दुनिया से पर्दा कर लिया। उनकी वफात के बाद तक लगभग पूरा अरब इस्लाम के सूत्र में बँध चुका था और आज पूरी दुनिया में उनके बताए तरीके पर जिंदगी गुजारने वाले लोग हैं।

Comments

Popular posts from this blog

Salat Ut Tasbih Ka Asaan Tariqa

Quran Kya Hai – What Is Quran ? Short Introduction about Quran in Urdu

Gheebat Ka Taruf Aur Nuqsaan | Gheebat Kise Kehte Hai ?

Hindu bhai k dharmik kitab se- ISHWAR/ALLAH KON HAI?

Nafil Namaz time

अस्थमा और इसके साक्ष्य के लिए ब्लैक सीड क्योर

Ayatul Kursi or tarzuma