रमज़ान की फ़ज़ीलत

रमज़ान की फ़ज़ीलत


हज़ार गुना स़वाब :

माहे रमज़ानुल मुबारक में नेकियों का अज्र बहुत बढ़ जाता है लिहाज़ा कोशिश कर के ज्‍़यादा से ज्‍़यादा नेकियां इस माह में जमा कर लेनी चाहियें। चुनान्चे ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम नख़्इ़र् फ़रमाते हैं: माहे रमज़ान में एक दिन का रोज़ा रखना एक हज़ार दिन के रोज़ों से अफ़्ज़ल है और माहे रमज़ान में एक मरतबा तस्बीह़ करना (यानी कहना) इस माह के इ़लावा एक हज़ार मरतबा तस्बीह़ करने (यानी ) कहने से अफ़्ज़ल है और माहे रमज़ान में एक रक्अ़त पढ़ना गै़रे रमज़ान की एक हज़ार रक्अ़तों से अफ़्ज़ल है। (अद्दुर्रुल मन्स़ूर, जिल्द:1, स़-फ़ह़ा:454)

रमज़ान में जि़क्र की फ़ज़ीलत :

अमीरुल मुअ्मिनीन ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर फ़ारूक़े आ’ज़म रजि से रिवायत है कि हुज़ूरे अकरमﷺ फरमाते हैं: (तर्जमा) “रमज़ान में जि़क्रुल्लाह करने वाले को बख़्श दिया जाता है और इस महीने में अल्लाह तआला से मांगने वाला मह़रूम नहीं रहता।” (शुअ़बुल ईमान, जिल्द:3, स़-फ़ह़ा:311, ह़दीस़:3627)

माहे रमज़ान में मरने की फ़ज़ीलत :

जो खु़श नस़ीब मुसल्मान माहे रमज़ान में इन्तिक़ाल करता है उस को सुवालाते क़ब्र से अमान मिल जाती, अ़ज़ाबे क़ब्र से बच जाता और जन्नत का ह़क़दार क़रार पाता है। चुनान्चे ह़ज़राते मुह़द्दिस़ीने किराम का क़ौल है, “जो मो’मिन इस महीने में मरता है वो सीधा जन्नत में जाता है, गोया उस के लिये दोज़ख़ का दरवाज़ा बन्द है।” (अनीसुल वाइ़ज़ीन, स़-फ़ह़ा:25)

तीन3 अफ़राद के लिये जन्नत की बशारत :

ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह इब्ने मस्ऊ़द रजि से रिवायत है, हुज़ूरे अकरमﷺ फरमाते हैं: “जिस को रमज़ान के इखि़्तताम के वक़्त मौत आई वो जन्नत में दाखि़ल होगा और जिस की मौत अ़रफ़ा के दिन (यानी 9 ज़ुल हि़ज्जतुल ह़राम) के ख़त्म होते वक़्त आई वो भी जन्नत में दाखि़ल होगा और जिस की मौत स़दक़ा देने की ह़ालत में आई वो भी दाखि़ले जन्नत होगा।” (हि़ल्यतुल औलिया, जिल्द:5, स़-फ़ह़ा:26, ह़दीस़:6187)

कि़यामत तक के रोज़ों का स़वाब :

उम्मुल मुअ्मिनीन सय्यि-दतुना आइशा सि़द्दीक़ा रजि से रिवायत है, हुज़ूरे अकरमﷺ फरमाते हैं: “जिस का रोज़े की ह़ालत में इन्तिक़ाल हुआ, अल्लाह उस को कि़यामत तक के रोज़ों का स़वाब अ़त़ा फ़रमाता है।” (अल फि़रदौस बिमअूसरिल खि़त़ाब, जिल्द:3, स़-फ़ह़ा:504, ह़दीस़:5557)
रोज़ादार किस क़दर नस़ीबदार है कि अगर रोज़़े की ह़ालत में मौत से हम-कनार हुआ तो कि़यामत तक के रोज़़ों के स़वाब का ह़क़दार क़रार पाएगा।

जन्नत के दरवाजे़ खुल जाते हैं :

ह़ज़रते सय्यिदुना अनस बिन मालिक फ़रमाते हैं कि हुज़ूरे अकरमﷺ फरमाते हैं, “यह रमज़ान तुम्हारे पास आ गया है, इस में जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं और जहन्नम के दरवाजे़ बन्द कर दिये जाते हैं और शयात़ीन को कै़द कर दिया जाता है, मह़रूम है वो शख़्स़ जिस ने रमज़ान को पाया और उस की मगि़्फ़रत न हुई कि जब इस की रमज़ान में मगि़्फ़रत न हुई तो फिर कब होगी ?” (मज्मउज़्ज़वाइद, जिल्द:3, स़-फ़ह़ा:345, ह़दीस़:4788)

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